चावल की ढूढ़ी मकर संक्रांति के पर्व पर बनाया व खाया जाने वाला एक पारंपरिक लड्डू है। खिचड़ी पर बहन एवं बेटिओं के घर अनाज व अन्य मिष्ठानों के साथ ढूढ़ी भी भेजने का रिवाज है। संक्रांति के अवसर पर बनाई गयी ढूढ़ी को कई महीनों तक रखकर खाया जाता है।
सामग्री-
- चावल का आटा- 500 ग्राम
- गुड़- 500 ग्राम
- सुखी गरी (नारियल)- चौथाई कप छोटे टुकड़ो में कटी हुई
- देसी घी- 2 छोटे चम्मच
बनाने की विधि…
चावल की ढूढ़ी बनाने के लिये आंच पर कढ़ाही को चढ़ाकर हल्का गरम करें। अब इसमे चावल का आटा डालकर लगातार करछी से चलाते हुए भूनें जब तक कि इसका रंग सुनहरा ना हो जाय। सोंधी-सोंधी खुशबू आने पर समझ लें कि चावल का आटा भुन गया है। भुने हुए आंटे को एक बर्तन में निकाल लें और अच्छी तरह से ठंडा होने दें।छोटे टुकड़ो में कटे हुए गरी को घी में भूनकर निकाल लें। अब उसी कढ़ाही में गुड़ और एक कप पानी डालकर चाशनी बनायें। चाशनी तैयार हो गया है, यह देखने के लिये एक कटोरी में पानी लें और थोड़ी सी चाशनी डालें। कटोरी में उंगली की सहायता से चाशनी को बांधने की कोशिश करें, जब यह एक गोले के रूप में बंध जाय तो समझ ले गुड़ की चाशनी तैयार है। भूने हुये चावल के आंटे में भून कर रखे हुये गरी के टुकड़ो को मिलायें। अब इसमें तैयार चाशनी को थोड़ा-थोड़ा डालते हुये कलछी से मिलायें।अब मिश्रण को दोनों हांथो से मसलते हुये मिलायें जिससे सभी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाये। हांथो पर हल्का सा घी लगा कर, मिश्रण को हांथों में लेकर दबाते हुए मनचाहे आकार के लड्डू बनायें और ठंडा होने दें। चावल की ढूढ़ी तैयार हैं।